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दसरथ कृत शनि स्तोत्र। dashrath krit shani stotra

अथ दसरथ कृत शनि स्तोत्र  । dashrath krit shani stotra अथ बिनियोगः  ॐ अस्य श्री शनिस्तोत्रमन्त्रस्य कस्यप-ऋषि त्रिस्टुप-छन्दः, सौर देबताः, शं बीजंम, निः शक्तिः, कृष्णबर्णेति किलकम, धर्मार्थ-काम-मोक्षात्मकचतुबिध-पुरुषार्थसिद्धयर्थ जपे बिनियोगः।  अथ करन्यासः  शनैस्चराय अंगुष्ठाभ्यां नमः  मन्दगतये तर्जनीभ्यां नमः  अधोक्षजाय मध्यमाभ्यां नमः  कृष्णांगाय अनामिकाभ्यां नमः  शुष्कोदराय कनिष्ठकाभ्यां नमः  छायात्मजाय करतलकरपृष्ठभ्यां नमः  अथ हृदयादि न्यासः  शनैस्चराय हृदयाय नमः  मन्द गतये सिरसे स्वाहा  अधोक्षजाय सिखायै बसट  कृष्णांगाय कबचाय हुम्  सुस्कोदराय नेत्रत्रयाय बैषट छायात्मजाय अस्त्राय फट अथ दिगबन्धनम ॐ भूभूर्बः स्वः अथ ध्यानम  निलद्यति सुलधरं किरीटिनं गुध्रस्तितं त्रासकरं धनुर्धरम्। चतुर्भुजं सुर्यसुतं प्रशान्तं बन्दे सदाभिस्टकरं बरेण्यम्।।  अथ शनि स्तोत्र प्रारम्भ  नमः कृष्णाय निलाय शितिकंठनिभाय च।  नमः कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च बै नमः।। नमो निर्मासदेहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च। नमो बिशालनेत्राय सुस्कोदरभयाकृते।। नमः पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेथ बै नमः । नमो दीर्घाय सुस्काय कालदंस्ट्र नमोस्तुते